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उल्लू अगर दुनिया खत्म हो गई तो क्या मैं मरण दिवस मनाऊंगा….?
रामकिशोर पंवार रोंढावाला
इस बार 23 मई को मैं 47 साल का हो जाऊंगा लेकिन साले मेरे जन्मदिन के करीब आते ही जलनखोर मेरी वर्षगांठ को बर्दास्त नहीं कर पा रहे हैं और पूरे देश – दुनिया भर में 21 मई को प्रलय आने की बाते फैला कर लोगो को डराने धमकाने में लगे हैं। दुनिया के खत्म हो जाने का ऐसा प्रचार पहले भी कई बार हो चुका हैं। मैं ऐसे में उन जलनखोरो से पुछना चाहता हूं कि साले तुम इतने बडे भविष्य वक्ता हो तो उस समय कहां मर गए थे जब मैं शादी करने जा रहा था। साले कम से कम उस समय बता देते कि आगे खतरा हैं। मैं संभल जाता लेकिन सालो को मेरी बैंड बजाने में ही मजा आता हैं। मेरी जब टांग टूटने वाली थी तब साले बता देते कि जीजा आगे मत जा तेरी टांग टूटने वाली हैं। मेरा अच्छा तो देख ही नहीं सकते और जब देखो तब मेरे लिए या तो गडडा खोदेगें या फिर धक्का मार कर गिराने का काम करेगें। इस बार मैने सोचा कि यार जीवन के 47 साल रोते – धोते गुजर गए चलो अच्छा हुआ इस साल अपना जन्मदिन धुमधाम से मना लेगें लेकिन पता नहीं इनको क्यो लोगो के फटे में टांग डालने की आदत रहती हैं। मेरा अच्छा खासा जन्म दिन को मरण दिन बनाने में लगे हुए हैं। साला जानता नहीं कि मैं बडा चीकट प्राणी हूं अकेला जाऊंगा नहीं पूरी बरात लेकर जैसे शादी करने गया था वैसी साथ लेकर ऊपर जाऊंगा। मैं जाते – जाते अपने में दुसरो से खुटी ठुकवाने के बाद दुसरो की भी खुटी ठुकवा कर जाऊंगा। 23 मई का मुझे कई महिनो से इसलिए इंतजार रहता हैं कि चलो जीवन का एक साल कम तो हुआ। सजा का कहो या मजा का एक साल यदि हसते – खाते कट जाएगा इससे बडी बात और क्या होगी। राम को 14 साल का वनवास हुआ था लेकिन राम नाम लेकर पैदा होने के कारण दुसरे तर गए लेकिन बेचारे राम वनवास के बाद जीवन का कारावास काटने के बाद ही जा पाए। मैं इस कटू सत्य को जानता हूं कोई माने या न माने लेकिन ज्योतिषी भी मेरे ज्ञान के सामने बच्चे हैं। राम जपे हर कोई तैरे वही जिस पर रामकृपा होई ……. राम को जीवन की वैतरणी को पार करने के लिए अपने नाम के कारण ही इतना सब कुछ कृष्ट भोग सके हैं। नाम का पछला अक्षर तुला राशी के तराजू के समय एक हो नहीं सकता। माता – पिता अपने मरने से पहले पुत्रो का नाम भगवान के नाम के रूप में इसलिए रखते थे कि मरते – मरते राम नाम तो निकले और राम नाम लेकर माता – पिता तर गए। उस पुत्र का क्या होगा जो राम का नाम मिलने के बाद वनवास और कारावास काटता हैं। ऐसे हजारो नहीं लाखो उदाहरण दिये जा सकते हैं जिनके नाम के अनुरूप उन्हे कृष्ट एवं त्रासदी भोगनी पड़ी हैं। इस बार के महाप्रलय की घोषणा से मुझे उस स्काईलैब की याद आ गई जो गिरने वाला था। वह घटना भी दिलो – दिमाग पर उभरने लगी जब एक बार इसी महान दुरात्मा ने पृथ्वी पर विनाश आने की बात कहीं थी। विनाश को ऐसे प्रचारित किया जा रहा है जैसे वह तिरंगा फिल्म का प्रलयनाथ होगा। तिरंगा के पलयनाथ गुण्डा स्वामी का राजकुमार एण्ड कंपनी ने क्या हाल किया था सभी को अच्छी तरह से पता होगा। प्रलया या विनाश की घोषणा दूर परदेश में बैठा तथाकथित धर्मगुरू ऐसे कर रहा है जैसे वह इन जब इन महाशय का पालतू कुत्ता होगा जिसे कहा और काटने के लिए आ धमका। मैं धमकी से नहीं डरता क्योकि मैं डर – डर कर जीना कभी नहीं सीखा और न मैं डर – डर कर मरना चाहता हूं। जब भगवान कृष्ण नहीं बचे तो मैं क्या हूं…? दुनिया के खत्म होने की अफवाह फैलाने वाला यदि मेरे मोहल्ले का आदमी होता तो साले की मेरी तरह टांग तोड़ देता। ऐसा पाखंडी आदमी मेरी नजर में किसी गंध मारते कुत्ते , हरामी , सुअर की औलाद से कम नही हैं जो बिना वजह लोगो को डराने चला आया है। खुद के पांव कबर में लटके है और दुनिया को लटकाने की बात कर रहा हैं। हमारे ग्रंथो में भी भगवान विष्णु का चौथा कलगी अवतार कलयुग में होना हैं लेकिन अभी दिल्ली कोसो दूर हैं। जिस दिन के इसंानो का पापों घड़ा भर जाएगा उस दिन वह लुढ़क जाएगा। इसमें नई बात क्या हैं। यदि सच सुनना लोगो को पंसद है तो सच यह हैं कि ईसा और मूसा के पहले भी कोई इस धरती पर आया था। हजरी संवज और ईसा संवत के पहले से भी संवत चले आ रहे हैं। मैं पहले मुर्गी आई की अण्डा उस विवाद में नहीं पडऩा चाहता लेकिन किसी पर भी अपनी बात को थोपना श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की स्टाइल में अच्छी बात नहीं हैं। अभी अप्रेल समाप्त नही हुआ और मई की चिंता ने अपनी चिता बना कर रख दी। ऐसे समय में जब पूरा विश्व आर्थिक सकंट से गुजर रहा हो ऐसे में दुनिया खत्म होने के डर से हर कोई बेइमान हो जाएगा तो पूरे विश्व की अर्थ व्यवस्था चौपट हो जाएगी। लिया है तो देना पडेेगा और बिना लिए और दिए काम भी नहीं चलने वाला। सोचो यदि सूरज या चांद निकलना छोड़ दे या हवा बहना छोड़ दे तो वैसे ही प्रलय आ जाएगा। प्रलय का आना किसी किताब की भविष्य वाणी नही हैं। हमारे कुंजीलाल को ऐसा रहता तो कब का मर जाना था लेकिन आज भी कुंजीलाल अपने कुल की चौथी पीढ़ी को देख चुका हैं। किसी के कहने से किसी नाश या सत्यानाश नहीं होता क्योकि इस समय तो ऐसा कोई नहीं हैं जो किसी न किसी का नाश – सत्यानाश हो जाए ऐसा न कहता हो। मुझे एक बालकथा याद आ गई। दो दोस्त थे दोनो में उधारी का प्रचलन था। एक दिन उन्हे डाकुओ ने पकड़ लिया। अब मौका देख कर एक दोस्त दुसरे से बोला कि यार वो तेरे कई दिनो से रूपए देने के थे वह ले ले। उसने सोचा चलो इस बहाने कर्ज से तो मुक्ति मिल जाएगी लेकिन दुसरा दोस्त उसकी नीयत को समझ गया उसने कहा नहीं यार दोस्ती में क्या लेने देन मैंने तुझे माफ कर दिया। उसने सोचा अब लूट तो रहे हैं चलो इस बहाने कुछ पुण्य कमा ले। डाकु ने उन दोनो की बाते सुन ली। डाकु बोला ऐसे में तुम दोनो को कभी मुक्ति नहीं मिलेगी क्योकि तुम दोनो की नीयत में खोट हैं। मैं ऐसे में तुम लोगो को लूट कर क्या करूंगा क्योकि तुम दोनो स्वार्थ के कारण परमार्थ को आडे ला रहे हो इसलिए तुम्हे लूटने से अच्छा हैं कि खुद लूट जाऊ…….. स्वार्थी व्यक्ति को परमार्थ कभी नहीं मिलता है और पाखंडी से ज्यादा सटीक शिखंडी की कहीं बाते होती हैं। इसलिए आज भी हमारे देश में बच्चों की बलाए लेने के लिए शिखंडियों को बुलाने का रिवाज हैं। कुछ पैदाइश होते हैं कुछ बाद में अपने चाल – चलन के चलते या फिर धंधे के चलते बन जाते हैं। दुनिया के समाप्त हो जाने की अफवाह फैला कर दहशतगर्दी के ठेकेदार भले ही आज चैन की नींद सो गए हैं लेकिन ऐसे लोगो को आज नहीं तो कल बेनकाब होना पडेगा। मुझे दुनिया से ज्यादा अपने 47 साल पूरे होने का बेसब्री से इंतजार है और हर साल 23 मई का इंतजार रहेगा। दुनिया कल की खत्म होने वाली आज हो जाए मुझे इस बात की चिंता नहीं क्योकि मैंने संकल्प ले रखा हैं कि मेरी चिता मां सूर्यपुत्री ताप्ती के पावन जल के किनारे ही जले ताकि मैं अपनी मां के आंचल में चैन की नींद सो सकू। जय मां ताप्ती
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